Tuesday, December 23, 2014

भगवान को ढूंढता PK

भगवान को ढूंढता PK
एक दूसरे ग्रह का जीव ही हमें बता सकता है की हमारा भगवान कौन है. यहाँ धरती पर हम सब रॉंग नंबर्स को ही फॉलो कर रहे है. असली भगवान, जिसने हम सबको बनाया है, उन्ही को भूल गए. इस ग्रह के जीव में तो पहले से ही, जन्म के फ़ौरन बाद से ही धर्म का ठप्पा लग जाता है और एक भगवान बता दिए जाते है. मेरा भगवान, तेरा भगवान.
और हम सब का भगवान, जिसने यह सृष्टी रची, वह तो भूल ही गए.
ऋग्वेद के नासदीय सूक्त, दशमी मंडल में कहा गया है "सृष्टी से पहले सत्य नही था, असत्य भी नहीं, अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं, छिपा था क्या , कहाँ, किसने ढका था, उस पल को अटल, अगम जल भी कहाँ था. नहीं थी मृत्यु, थी नहीं अमरता भी नहीं, नहीं था दिन, रात भी नहीं, हवा भी नहीं। सांस थी स्वयमे फिर भी, नहीं था कोई भी कुछ भी, परम तत्त्व से अलग या पर भी.... सृष्टी को रचा है जिसने, उसको जाना है किसने। .... सृष्टी का कौन है करता, ऊँचे आकाश में रहता, सदा अध्यक्ष बना रहता। वही सच में जानता, या नहीं भी जानता, है किसी को नहीं पता".
PK भी यही कह रहा है की हमारी धरती एक छोटा सा गोला, पता नहीं ऐसे कितने ग्रह, कितनी आकाश गंगा, असीम और अनंत अंतरिक्ष। और फिर भी हम एक दूसरे के भगवान से लड़ रहे है. मेरी कमीज तेरी कमीज से ज्यादा सफ़ेद।
PK अलग है, ओह माय गॉड फिल्म से भी अलग है. उसमे इसी धरती के भगवान है. पर PK तो पूरी सृष्टी का भगवान तलाश कर रहा है.
एकबार PK देखो तो सही, धर्म का चश्मा उतार कर. पता चले की बाद में आपने कहना शुरू कर दिया की फिल्म में एक धर्म की ज्यादा कुरूपता दिखाई है, दूसरे की कम वह भी तब जब हीरो उसी दूसरे धर्म का है.

रिग वेद सूक्ति : https://www.youtube.com/watch?v=xoiEJQUCxxs
PK ऑफिसियल ट्रेलर: https://www.youtube.com/watch?v=82ZEDGPCkT8

Its PRATIMAN UNIYAL Presentation...

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