Wednesday, December 17, 2014

इंसानियत के लिए काला दिन

क्या मजहब, क्या सीमायें, इस नृशंस हत्याकांड ने सबको रुला दिया। किस मजहब में ये लिखा है की अपने ही बच्चों को मारो। बच्चो का एक ही मजहब होता, वह है उनका बचपन। किसी भी बच्चे की हंसी, आपके ग़मगीन चेहरे में भी मुस्कान ला सकती है. कोई भी रोता हुआ बच्चा, आपका दिल कंपा सकता है. एक बार तो पूछ ही लेते हो की बच्चे क्या हुआ। तब कौन सा मजहब सामने आता है.
बच्चो के नरसंहार में पूरी दुनिया शोकाकुल है, तो कुछ सड़ांध भरी मानसिकता वाले यह कहते हुए नहीं लजा रहे की 'जैसा बोया है, वैसा ही काट रहे है' या यही बच्चे कल को 'आतंकवादी बन जाते' . थू है ऐसी मानसिकता पर.
जो कल पाकिस्तान में हुआ, भगवान / ख़ुदा / गॉड ना करे किसी और देश की माँ या पिता के साथ हो. होश में आ जाओ इस धरती में रहने वाले लोगों।
फेसबुक या अन्य ऑनलाइन माध्यम से अनेक शोकाकुल लोग जिनकी आत्मा अभी तक जिन्दा है अपनी संवेदनाएं, पीड़ाएँ कुछ इस तरह व्यक्त कर रहे है: साभार सहित
मनीष मिश्रा...
पाकिस्तान में कैसी होगी आज उस अभागी माँ की हालत जिसके बच्चे ने आज स्कूल जाने से मना किया होगा और उस माँ ने उसे ज़बरदस्ती स्कूल भेजा होगा?
ऐ तालिबान तू बच्चों और महिलाओं पर क्यूं जुल्म करता है ??? क्या तुझे मर्दों से डर लगता है !!! अगर तुममें मर्दानगी होती और बदला लेना ही था, तो उन पाकिस्तानी फौजियों से लेते, ना कि उनके मासूम बच्चों से।।। खुदा की सबसे कीमती नेमत हैं जो बंदे, उन मासूमों की जान क्यूं लेता है ??
तालिबान शर्म करो ! 150 मासूम बच्चों की मौत से रुह थर्राई, आवाज भर्राई और आंखें भर आईं हैं....
शंभुनाथ शुक्ल...
वे अरबी बोलते हुए आए और फारसी बोलते हुए चले गए पर इतनी देर में उन्होंने अपने खुदा के नाम पर हिन्दवी बोलने वाले 140 बच्चे ज़िबह कर दिए।
ओम थानवी...
पेशावर में तालिबान की कायराना-सिरफिराना हरकत की कोई किन शब्दों में निंदा करे - बदज़ात कमीनों ने बुरे से बुरे शब्दों को शर्मिंदा कर दिया है।
ओम राठौर...
इंसान तो रोज़ मरते हैं कल भगवान को मार दिया गया वो भी भगवान के नाम पर.
बच्चों में भगवान बसते हैं जाने कब से सुनते आये हैं। चलो अच्छा किया बड़ों की ऐसी बेदर्द दुनिया में अब उन्हें घुंट घुंट के नहीं जीना होगा।
ईश्वर को तो मार दिया अब किससे उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करूँ
प्रभात कुमार उपाध्याय...
उन्होंने मासूम बच्चों को नहीं मारा है, बल्कि अपने मजहब और खुदा की हत्या की है।
कुछ खिलौनें कभी आंगन में दिखाई देते,
काश हम भी किसी बच्चे को मिठाई देते
पूजा महाजन गुप्ता और आशा लाल टम्टा:
खून किसी का भी गिरे यहां
नस्ल-ए-आदम का खून है आखिर
बच्चे सरहद पार के ही सही
किसी की छाती का सुकून है आखिर
अभय मेहता...
अगर कहीं खुदा होता तो वो भी मर गया होता। बीते 24 घंटे में दुनिया की हर माँ 144 बार मरी और हर बाप 144 बार खून के आंसू रोया। यह सिर्फ 144 बच्चों की नृशंस हत्या नहीं। हम सबका खून वहा है।
और हाँ यह मत समझिएगा की यह हैवानियत सरहद पार की है। दरअसल वहां के बेवकूफ , कमअक्ल और कमजर्फ हुक्मरनों नें जो फसल बोई थी उसकी कीमत बच्चों को जान देकर चुकानी पड़ी। चिंता इस बात की है यह सब जानते और देखते हुए भी हमारे यहाँ वैसी ही फसल की वुबाई जारी है । हमारे नेता और हम भी उसी ख़ूनी रस्ते पे आगे बढ़ रहे हैं।
जिन्होंने बच्चों को मारा वो खुदा के बंदे नहीं हो सकते। वो इंसानी शक्ल में पैदा हुए हैवान थे। पेशावर में जो हुआ उससे बुरा कुछ हो नहीं सकता। उन हैवानो को पता नहीं की उनकी करतूत से उनका खुदा भी रो पड़ा होगा। वैसे भी धरती पे खुदा का दर्जा रखने वालीं सैकड़ों माओं को खून के आंसू रुला ही दिया।
सीधे कहें तो पकिस्तान में आज इंसानियत का खून हो गया। धर्म के नाम पर इससे बड़ा अधर्म नहीं हो सकता।
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है।
Rajkumari Tankha...
Black day for humanity. Shame on Taliban...killing innocent kids is beyond the comprehension of any sane person...i wish those who indulged in this act meet with similar fate...my heart goes out for parents of victims. May God give them courage and Peace...
Kapil Sharma...
I love kids..kids r innocent souls n they r near to god.. Bcoz they cant think what is good n what is bad.. They r just innocent.. Jis ne b jis b maksad se peshawar me yeh gandi aur napaak harkat ki hai.. Just want to tell them.. K tum logo'n ko kabhi sukoon nahi milega.. kaash main apne haatho'n se tum sabko maar sakta. tum log insaniyat k naam pe kalank ho. laahnat hai tumpe
Shagun Sehgal Garg...
I pray n only pray for those who have lost their hearts today .. This tragedy is irreparable!
Sujith Nayar...
The Smallest Coffins are the Heaviest
Yasar Sadiq...
Another incidence calling for awareness of real Islam, not the Islam that is portrayed by these terrorists... This is absolutely not as per the teachings of Islam....
Shame on the peoples who committed this crime...
Prayers for children and their families
Aamir Hashmi...
Frustrated to spread their sick ideologies, they kill innocent people. Gruesome actions shows the real face of their so-called 'right path'. Pakistan Taliban first try to be a good student of religion then try to teach it. Your vagabond ways are tarnishing the image of the people who firmly believe in their religion...
Its a PRATIMAN UNIYAL Presentation

No comments:

Post a Comment