Thursday, January 23, 2014

कुत्तों वाली बात

एक वाक्या, एक सम्भ्रान्त किस्म का कुत्ता रोज परेशान रहता था कि आलीशान घर में रहने के अलावा उसका कुछ काम ना था. हर रोज वह खिड़की से देखता कि गली के लोग और सड़क के भिखारी उसके बिरादरी के कुत्तों को पत्थर मारते, कभी तो कोई गाडी वाला उनको कुचलता हुआ चला जाता। वह अपने कुत्ता समाज के कुछ करना चाहता था. 

एक दिन वह घर छोड़कर सड़क पर निकला। खुली हवा उसे अच्छी लग रही थी. हर आने जाना वाला कुत्ता, उस संभ्रांत कुत्ते को आश्चर्य से देखते, उसे लगा कि अगर वह इन सड़क के आम कुत्तों के अधिकारों के लिए लड़े तो वह पूरे कुत्ता समाज का नेतृत्व कर सकता है. उसने हर आम कुत्ते कि तकलीफों का ब्यौरा लेना शुरू किया। जब भी कोई कुत्तों को पत्थर मारता, लाठी मारता तो वह भोंकते हुए पहुँच जाता। हर गाडी वाले के पीछे भागता ताकि कोई भी आम कुत्ता कुचला ना जा सके. एक तरह से उसने आपने इलाके के कुत्तों में धाक जमा कर अधिपत्य जमा लिया था.

दूसरे बिरादरी के कुत्तों को उससे जलन होती थी. दिन रात भोंक भोंक कर उसके बारे में भोंकते कि वह कुत्ता तो बड़ी बिरादरी का है, आम कुत्तों कि उसे क्या फिक्र। एक रात वह कुत्ता रोज कि तरह सड़क पर आम कुत्तों के अधिकारों के लिए पहरा दे रहा था. दूसरे बिरादरी के कुत्तों ने उसको घेर लिए और लगे उस पर भोंकने और दांत गड़ाने. उनसे थोड़ी ही दूरी पर ही एक कार सवार ने एक कुत्ते को टक्कर मार दी. दूसरी बिरादरी के कुत्तों ने यह इल्जाम उस कुत्ते पर लगा दिया। हर घटना के पीछे उस कुत्ते को ही दोष देने लगे. वह रहने वालों को पता था कि यह कुत्ता उन के लिए ही काम कर रहा है पर फिर भी वह दूसरी बिरादरी के लोगों कि बहकाई में आ रहे थे. उसके अपने कुत्ते ही उससे मुंह मोड़ने लगे.

आज भी वह आम कुत्तों के लिए काम कर रहा है. कोई उसके काम को नहीं देखता। सब को लगता कि कोई कितने दिन अच्छे काम और दूसरों कि भलाई के काम कर सकता है. फिर भी वह लगा हुआ है.. इस विश्वास से शायद एक दिन आम कुत्तों के दिन अच्छे हो जाए. दुश्मन कुत्ते अब भी उसको बदनाम करने में लगे है पर उस पर एक धुन लगी है : हम होगे कामयाब एक दिन, मन में विश्वास, पूरा है विश्वास, हम होंगे कामयाब एक दिन...

प्रतिमान उनियाल

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