Wednesday, January 22, 2014

कमाल का माहौल है आज कल, जिसकी लाठी उसकी भैंस

कमाल का माहौल है आज कल. जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली बात है. सब कि सुईं अरविन्द केजरीवाल और आप मैं अटक गयी है. जिनको मौका मिला और जिनके पास अपनी आवाज बुलंद करने का माध्यम है, वह केजरीवाल को पानी पी पी कर कोस रहा है. कोसे भी क्यों नहीं, उनको पैसे ही कोसने के लिए दिए जा रहे है. एक फ़िल्म में डायलाग था हम ही हम है तो क्या हम है …तुम ही तुमहो तो क्या तुम हो. अब तो सबके लिए आप ही आप है. हम और तुम अब आप तक सीमित रह गए।
कोई कर रहा है तब भी सबको परेशानी, दूसरे पिछले ६५ सालों से कुछ नहीं कर रहे तो "हो रहा भारत निर्माण" या "इंडिया शाइनिंग". धन्य है भाई...
देश में ही नहीं हमारे आदरणीय अब विदेश में भी अरविन्द अरविन्द कि माला रट रहे है. एक आदरणीय देश में अरविन्द केजरीवाल को पागल घोषित कर रहे है तो दूसरे आदरणीय दावोस में जाकर व्यापार, वाणिज्य, नीतियों के बारे में ना बात कर के अरविन्द केजरीवाल का इस्तीफा मांग रहे है.
सबको याद है कि सोमनाथ भारती ने क्या किया, पर कोई याद नहीं करना चाहता कि सुनंदा पुष्कर के साथ क्या हुआ या नैना साहनी, शिवानी भटनागर, नितीश कटारा, प्रियदर्शी मट्टू में किसको क्या सजा मिली।
बद्री केदार को सब भूल गए, ठण्ड में मरने वालों या दंगों में मरने वालों को याद करने कि क्या जरूरत है. भाई अब तो अरविन्द नाम का विटामिन पूरे देश को गर्मी दे रहा है. जपो जपो अरविन्द जपो, कुछ मत करो, देश का भला होगा और चुनाव में तो पक्का मुनाफा। सही है हींग लगे ना फिटकरी, फिर भी चोखा रंग. सिर्फ अरविन्द केजरीवाल को कोसो, सरकार बना ही लेंगे। देश जाए भाड़ में

प्रतिमान उनियाल

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