कविता: बस उस एक पल
बस उस एक पल में जीने दो, उस भ्रम में मुझको रहने दो
राहगीर वही, मंजिल वहीं, राह पुरानी लेने दो
युग बदला, दृश्य बदला, सपना वहीं रहने दो
संबंधों की परिभाषा में मत उलझाओं, बात पुरानी रहने दो
छवि मेरे मन में तुम्हारी, दिल में उसको रहने दो
सुबह तुम्हारी बात से, शाम तुम्हारी याद से, अब वक्त को मत रूकने दो
सपनों में ही सही, तुम आती तो हो, उस नींद में मुझे सोने दो
एसे ही जीवन चलें हर पल, मुझे अपने में रहने दो
कभी सोचा न तुमने, क्या हुआ मेरा, छोडो, मुझे मेरे हाल में रहने दो
जीवन चल रहा है तुम बिन, उसको बस एसे ही चलने दो
गर्म राख की तपिश सरीखी चाहत को दिल में दबे रहने दो
मत आना वापस मेरे पास, मुझे अपने पास आने दो
क्या हुआ जो यहां तुम न हो, याद तुम्हारी रहने दो
मैं यहां, तुम वहां, बस उस एक पल में जीने दो
_X_
- प्रतिमान उनियाल
बस उस एक पल में जीने दो, उस भ्रम में मुझको रहने दो
राहगीर वही, मंजिल वहीं, राह पुरानी लेने दो
युग बदला, दृश्य बदला, सपना वहीं रहने दो
संबंधों की परिभाषा में मत उलझाओं, बात पुरानी रहने दो
छवि मेरे मन में तुम्हारी, दिल में उसको रहने दो
सुबह तुम्हारी बात से, शाम तुम्हारी याद से, अब वक्त को मत रूकने दो
सपनों में ही सही, तुम आती तो हो, उस नींद में मुझे सोने दो
एसे ही जीवन चलें हर पल, मुझे अपने में रहने दो
कभी सोचा न तुमने, क्या हुआ मेरा, छोडो, मुझे मेरे हाल में रहने दो
जीवन चल रहा है तुम बिन, उसको बस एसे ही चलने दो
गर्म राख की तपिश सरीखी चाहत को दिल में दबे रहने दो
मत आना वापस मेरे पास, मुझे अपने पास आने दो
क्या हुआ जो यहां तुम न हो, याद तुम्हारी रहने दो
मैं यहां, तुम वहां, बस उस एक पल में जीने दो
_X_
- प्रतिमान उनियाल
No comments:
Post a Comment